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किसान भाइयों, आंदोलन वही सफल होते है... जो अहिंसक होते है...!

किसान भाइयों, आंदोलन वही सफल होते है... जो अहिंसक होते है...!
नई दिल्ली/ मन्दसौर | MDS। ( उमेश नेक्स, क्रांतिकारी रिपोर्टर 9424538555 ) 25 मई 2018 / इस देश में क्या पूरी दुनिया में वही आंदोलन सफल हुए है... जो अहिंसक तरीके से हुए है... वरना हिंसक आंदोलन तो सरकार और राजनीतिक लोगों के ही काम आये है... और ऐसे आंदोलन करने वाले जमाने की नफरत के शिकार हुए है...! मंदसौर जिला अभी तक जून 2017 में हुए किसान आंदोलन को नही भुल पाया... जिसका नुकसान क्षेत्र के किसानों के साथ व्यापारियों और आम जनता को भुगतना पड़ा...! किसी ने अपने बेटे को खोया तो किसी ने अपने भाई को खोया... किसी ने अपने पति को खोया तो किसी ने अपने बाप को खोया है... यानी उस हिंसक आंदोलन से न दुःखी पीड़ित अन्नदाता कहलाने वाले किसानो को कुछ मिला... न क्षेत्र के भले का कोई काम हुआ... बस मंदसौर दुनिया भर में बदनाम हुआ....! इस लिए क्रांतिकारी रिपोर्टर इस खबर के माध्यम से अपने किसान भाइयों से यह आग्रह करता है कि दुनिया मे सबसे बड़ी ताकत सत्याग्रह में होती है... यानी सत्य के साथ सत्य का आग्रह करना... यानी नैतिक रूप से सरकार के साथ देश और समाज को भी अपने पक्ष में करने जैसा है...! जो भी आंदोलन अपने ख़ुद को तकलीफ़ दे कर होता है... वो ज़माने की तकलीफ बन जाता है... यूँ तो मेरी इस बात के कई प्रमाण है... पर महाराष्ट्र के किसानों का अहिंसक महामार्च इसका ताजा ताजा उदाहरण हैं... जिसने जनहित का ध्यान रखा... अपने को परेशान करके दूसरों को परेशान नही होने दिया... जवाब में मुंबई जैसा व्यस्ततम शहर जो अपने बच्चों को भी ठीक से समय नही देता है... वो भी गरीब किसानों के घाव पर मरहम लगाने आजाद मैदान तक पहुंच गया...! उनकी सेवा करने लगा... ये सब इस लिए हुआ... क्योंकि किसानों ने अपनी वाज़िब मांगो के लिए वाजिब तरीका अपनाया... तभी मतलबी शहर के लोगों ने भी उन्हें अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा... अहिंसक आंदोलन को कुचलना किसी भी सरकार के लिए तो ठीक अंग्रेजों के लिए भी आसान नही था...! और हिंसक आंदोलन को कुचलना और किसी भी आंदोलनकारी की जान की फिक्र ना करना हम प्रत्यक्ष रूप से पिपलियामंडी में देखा है... उसमे बर्बादी के अलावा कुछ नही मिलता है... इस लिए 1 जून से आंदोलन करने वाले मेरे पीड़ित दुःखी किसान भाइयों से मेरा सिर्फ इतना सा निवेदन है कि आप खूब असहयोग आंदोलन कंरो... पर अहिंसक तरीके से करो... समाज आपकी जायज मांग के लिए मजबूर हो कर आपके साथ आ जायेगा... और सरकार को भी एक ना एक दिन झुकना पड़ेगा... थोड़ा भी आंदोलन हिंसक हुआ तो उसे कुचलने में जरा भी वक़्त नही लगेगा और समाज भी आपसे नफरत करने लगेगा...! इस लिए सयम से काम ले कर आप अपना आंदोलन करे... अपने हित के चक्कर मे बस किसी और का अहित ना करे...

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